Wednesday, 21 January 2015

प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
जगत की जननी हो तुम पालन हारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
आराधन कर तप मिट जाये,
हर सुख वैभव उस घर आये,
जिस घर माता आप पधारी हो,
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

व्याकुल नैना थक गये हैं अब
सिंह वाहिनी आओगी कब
हो हर सुख जब कृपा तुम्हारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

आन बसो अब व्याकुल मन में
बंदी हैं हम माटी के तन में 
दो मुक्ति तो मोक्ष हमारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
जगत की जननी हो तुम पालन हारी हो

प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो


प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

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शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
मेम्बर- फिल्म राइटर्स एसोसियेशन, मुम्बई, इंडिया 
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