विद्या दो विद्या की देवी, हम गुणवान बनें,
सुख-धन दो वैभव की देवी, हम धनवान बने,
शक्तिदात्री शक्ति दो हम शक्तिमान बनें,
निर्विकार कर दो इस मन को, संत समान बनें,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा
प्रणाम,
शंभुप्रिय ध्याऊँ तुमको रोज, करो निर्विघ्न हमारे
काम,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा
प्रणाम,
हंसवाहिनी वो विद्या दो, करें सत्कर्म रहें
निष्पाप,
कला मे हों प्रवीण ऐसे, कि हर लें सबके दुख संताप,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा
प्रणाम,
लक्ष्मी माँ अपार धन दो, कर सकें जग का हम कल्याण,
कष्ट मे जो रोगी भूखे, तुम्हारे धन से बचालें
प्राण,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा
प्रणाम,
शंभुप्रिय ऐसी भक्ति दो, की मन मे लीन रहे हर नाम,
माँ भवानी वो शक्ति दो धर्म की रक्षा मे हों
प्राण,
मात शारदे तुम्हारी जै,
विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम.
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शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
मेम्बर-द फिल्म राइटर्स एसोसियेशन, मुम्बई, इंडिया
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