गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
एक थे वो भागीरथ जो लाये नदी,
एक हम हैं जो नाला उसे कर दिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
जिसके जल को ही अमृत बताया गया,
भर के काँवड़ मे शिव पर चढ़ाया गया,
देवों कि यह नदी थी जो पावन कभी,
आज दूषित हमी ने उसे कर दिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
आओ गंगाजली यह उठा लें अभी,
कूड़ा कचरा ना उसमे बहाएँ कभी,
करके अस्थि प्रवाहित नहीं मोक्ष है,
शिव का अमृत समझ जो ना उसको पिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
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शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
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