Wednesday 21 January 2015

गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं

गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं 
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
एक थे वो भागीरथ जो लाये नदी,
एक हम हैं जो नाला उसे कर दिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं 
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
जिसके जल को ही अमृत बताया गया,
भर के काँवड़ मे शिव पर चढ़ाया गया,
देवों कि यह नदी थी जो पावन कभी,
आज दूषित हमी ने उसे कर दिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं 
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
आओ गंगाजली यह उठा लें अभी,
कूड़ा कचरा ना उसमे बहाएँ कभी,
करके अस्थि प्रवाहित नहीं मोक्ष है,
शिव का अमृत समझ जो ना उसको पिया,
गंगा मैया हमे मोक्ष देती रहीं 
हमने मैया का जीवन नरक कर दिया,
चेतावनी: यह ब्लॉग पूर्णतः कॉपीराइट से सुरक्षित है और इसका प्रकाशन का अधिकार केवल शशांक जौहरी को है। लेखक से पूर्वानुमति के बिना यह गीत/ कहानी/ लेख या इसका कोई भी अंश सीधे या तोड़ मरोड़ के किसी भी भाषा मे प्रकाशित करना गैर कानूनी अपराध है जिसके लिये सख्त कार्यवाही होगी अतः यदि कोई सज्जन इसे प्रकाशित करना चाहते हैं तो पहले लेखक से संपर्क कर के अनुमति प्राप्त करने का कष्ट करें।
शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
मेम्बर- फिल्म राइटर्स एसोसियेशन, मुम्बई, इंडिया 
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गुरु ही ब्रह्मा विष्णु हैं,

गुरु ही ब्रह्मा विष्णु हैं, गुरु ही सत्चिदानन्द,
गुरु बिन जीवन पशु समान, गुरु से परमानंद,
घट-घट मे जो बस रहा, उसका नाम है राम,
राम मिलवन के लिये गुरु ही आवे काम,
जैसे प्रीत चकोर की चाँद से हो दिन रैन,
वैसे तुम्हरे दरस को राह तकूँ दिन रैन।
मेरी नय्या भंवर से बचा लो प्रभु, डूब के भव के सागर मे मर जाऊँगा,
मोह-तृष्णा के तूफान मे हूँ फंसा, मुझको मालूम नहीं मैं किधर जाऊँगा,
मेरी नय्या...
पाप बोझों से नय्या भरी है बड़ी, कुछ करो बोझ कम है ये संकट घड़ी,
मेरे गुरुवर की रहमत अगर हो गयी, तो मैं निश्चित ही फिर भव से तर जाऊँगा,
मेरी नय्या...
वासना और अहम ने है घेरा मुझे, मोह लालच की आंधी से डग-मग हूँ मैं,
नाथ रोको तुम्ही सारे तूफान अब, लाख चौरासी मे वर्ना पड़ जाऊँगा,
मेरी नय्या...
जो है आशा का दीपक जलाये हुये, बुझने दोगे ना तुम है मुझे ये यकीं,
'जौहरी' की ये विनती ना टालोगे तुम, मोक्ष दोगे मुझे अपने घर जाऊँगा।

मेरी नय्या...
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तुम हो दाता सारे जग के,

तुम हो दाता सारे जग के, मैं एक तुच्छ भिखारी, 
जाऊं कहाँ मैं हाथ पसारे आया शरण तुम्हारी,
सुन्दर निर्मल काया दे प्रभु, एक उपकार किया है,
तुम हो दाता सारे जग के, मैं एक तुच्छ भिखारी, 
मात पिता और गुरु कुटिम्ब दे जीवन सुगम किया है,
तृष्णा और क्षुधा ने घेरा, अन्न जल मुझे दिया है,
मार्ग बताया सत्य-कर्म का मैं तुम पर बलिहारी,
आया शरण तुम्हारी ...
जन्म मरण तुम्हारे अधीन है, गुरु ने ज्ञान दिया है,
जब जब तुमको ध्याया प्रभु संतों सा मान दिया है,
आज दुखों से बोझिल 'जौहरी' आया शरण तुम्हारी,
काटो भव के फंद रखो चरणो में अब गिरधारी,

आया शरण तुम्हारी ...

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मात शारदे तुम्हारी जै

विद्या दो विद्या की देवी, हम गुणवान बनें,
सुख-धन दो वैभव की देवी, हम धनवान बने,
शक्तिदात्री शक्ति दो हम शक्तिमान बनें,
निर्विकार कर दो इस मन को, संत समान बनें,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम,
शंभुप्रिय ध्याऊँ तुमको रोज, करो निर्विघ्न हमारे काम,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम,
हंसवाहिनी वो विद्या दो, करें सत्कर्म रहें निष्पाप,
कला मे हों प्रवीण ऐसे, कि हर लें सबके दुख संताप,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम,
लक्ष्मी माँ अपार धन दो, कर सकें जग का हम कल्याण,
कष्ट मे जो रोगी भूखे, तुम्हारे धन से बचालें प्राण,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम,
शंभुप्रिय ऐसी भक्ति दो, की मन मे लीन रहे हर नाम,
माँ भवानी वो शक्ति दो धर्म की रक्षा मे हों प्राण,
मात शारदे तुम्हारी जै, विष्णुप्रिय तुमको मेरा प्रणाम. 

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श्री राम कृपा करते हैं

श्री राम कृपा करते हैं नित्य श्री राम कृपा करते हैं
अपने बनाये जाल मे फंस कर हम उलझा करते हैं,
श्री राम कृपा करते हैं नित्य श्री राम कृपा करते हैं
यह जीवन है स्वर्णिम अवसर भाव से तर जाने का
पाप दोष से मुक्ति पा कर राम मे रम जाने का
विषय वासना के चक्कर मे जन्म नष्ट करते हैं,
श्री राम कृपा करते हैं नित्य श्री राम कृपा करते हैं

ये जीवन है एक परीक्षा पुण्य से जो मिलती है,
कर लो सफल तो पाओ प्रभु को कष्टों से मुक्ति है
सफल ना होने वाले लख चौरासी मे फंसते हैं

श्री राम कृपा करते हैं नित्य श्री राम कृपा करते हैं

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मातृ वंदन कर रहें हम आपका

मातृ वंदन कर रहें हम आपका- आपका
अभिनंदन कर रहे माँ आपका- आपका
नौ दिनों तक ज्योत यों जलती रहे- जलती रहे,
आपका दर्शन हमे मिलता रहे- मिलता रहे,
जागरण हम कर रहे माँ आपका- आपका
मातृ वंदन कर रहें हम आपका- आपका
अभिनंदन कर रहे माँ आपका- आपका
दो हमे शक्ति की तुमको ध्या सकूं- मैं ध्या सकूं 
चित्‍त तेरे ध्यान मे लगा सकूं- लगा सकूं
पूर्ण हो वृत नौ दिनों तक आपका- आपका
मातृ वंदन कर रहें हम आपका- आपका
अभिनंदन कर रहे माँ आपका- आपका
कामना हर भक्त की पूरी करो- पूरी करो
दीन जो आये तुरत झोली भरो- झोली भरो
फोड़ दो उसका घड़ा हर पाप का- पाप का
मातृ वंदन कर रहें हम आपका- आपका
अभिनंदन कर रहे माँ आपका- आपका
द्वार पर मंगल ध्वनी गाते हैं हम- गाते हैं हम
पुष्‍प हाथों मे लिये आते हैं हम- आते हैं हम
आ पधारो लो सिंहासन आपका- आपका
मातृ वंदन कर रहें हम आपका- आपका

अभिनंदन कर रहे माँ आपका- आपका

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वंदन उन चरणों का कीजे

वंदन उन चरणों का कीजे जो सब संकट टारे
दुष्ट दालान को यों सँहारे ज्यों महिषासुर मारे
ओ मैया तेरी ज्योत जले दिन राती
पहाडा वाली ज्योत जले दिन राती
ओ शेरा वाली ज्योत जले दिन राती,
ओ मैया तेरी ज्योत जले दिन राती
एक बरस जब बीत गया तब
आई माँ की पाती 
आएंगीं नैहर अपने वह ले संग और सगाती,
चारों ओर उमंग में डूबा हर नर मुनि हर जाती
दिवस ना देखे शाम ने देखे और ना देखे राती
ओ मैया तेरी ज्योत जले दिन राती



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प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
जगत की जननी हो तुम पालन हारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
आराधन कर तप मिट जाये,
हर सुख वैभव उस घर आये,
जिस घर माता आप पधारी हो,
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

व्याकुल नैना थक गये हैं अब
सिंह वाहिनी आओगी कब
हो हर सुख जब कृपा तुम्हारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

आन बसो अब व्याकुल मन में
बंदी हैं हम माटी के तन में 
दो मुक्ति तो मोक्ष हमारी हो
प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो
जगत की जननी हो तुम पालन हारी हो

प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो


प्राण अधारी हो, भव दुख हारी हो

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जय जय जय माँ अम्बे भवानी

जय जय जय माँ अम्बे भवानी 
जय जय जय माँ अम्बे भवानी 
नमस्तुते जग की महारानी
जय जय जय माँ अम्बे भवानी 
तेरी कृपा से अंधा देखे, तेरी कृपा से पंगु गिरि लांघे,
तेरी कृपा से पुत्र जाने बाँझिंन तू है इस जग की कल्याणी 
जय जय जय माँ अम्बे भवानी

दुष्टों को पल मे सँहारे, अपने शरणागत को तारे 
तेरी शक्ति है परम आलोकिक ध्याएं तुम को ऋषि मुनि ज्ञानी
जय जय जय माँ अम्बे भवानी

यश सुख धन वैभव की दात्री आज तो है जागरण की रात्रि
हम जागें तू कैसे सोये अम्रत बरसा दो मा रानी
जय जय जय माँ अम्बे भवानी 

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ऊंचे पहाड़ पे है तेरा दरबार

ऊंचे पहाड़ पे है तेरा दरबार कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया 
ओ मैया कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया,
बड़ी कठिन है राह तेरी और पग-पग पे है रोड़ा,
कोई-कोई तो पार लगे कोई चल ना पाये थोड़ा
कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया 
हम भक्तों की बागड़ी बनाने वाली किरपा अब बरसा दे 
तक के पाँव मे छाले पड़ गये अब तो गोद उठा ले
कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया 
तेरी किरपा से ही मैया मन मे भक्ति जागी है
तुरत करूं मैं दर्शन तेरे मन मे अगन लगी है
पापी है 'जौहरी' और तू है दयालू मैया
अब तो उठाले मेरा भार ओ मैया कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया।
ऊंचे पहाड़ पे है तेरा दरबार कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया 

ओ मैया कैसे आऊँ मैं द्वार तेरे मैया,

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हे विंध्यवासिनी नमो नमः

हे विंध्यवासिनी नमो नमः हे सिंहवाहिनी नमो नमः 
हे खड्गधारिणी नमो नमः महिषासुरमर्दिनी नमो नमः
माँ .... किरपा करो.. माँ ... दया करो...
बड़े नसीब से आये हैं तेरे द्वार पे,
सारे जीवन के सुख दुख हार के
हे विंध्यवासिनी नमो नमः हे सिंहवाहिनी नमो नमः 
हे खड्गधारिणी नमो नमः महिषासुरमर्दिनी नमो नमः
अपने शरणागत को मय्या अब शरण मे लेलो 
नर्क जीवन से दो मुक्ति ब्रह्म मे समोलो
हे विंध्यवासिनी नमो नमः हे सिंहवाहिनी नमो नमः 
हे खड्गधारिणी नमो नमः महिषासुरमर्दिनी नमो नमः
ऐसा वर दो मैया सृष्टि से दुख दूर हो 
सब बनें तेरे पुजारी ब्रम्ह-जीवन-मय हो
हे विंध्यवासिनी नमो नमः हे सिंहवाहिनी नमो नमः 
हे खड्गधारिणी नमो नमः महिषासुरमर्दिनी नमो नमः

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नमामि दुर्गा

नमामि दुर्गा नमामि ब्रम्हाणी नमामि रुद्राणी नमो नमः 
नमामि अम्बे नमामि वैष्णवी नमामि भगवती नमो नमः।
माँ .......माँ .......माँ .......माँ .......
होके शेरों पे सवार अब तो आजा की दरश दिखजा मेरे नैना अब थके थके
अपने भक्तों की पुकार सुन आजा, तुम्हारे चरणों मे शीश सबके झुके झुके
हम हैं तेरे अवगुनी बालक माता हमे सम्हालो,
पाप बोझ मे दबे पड़े हैं माता गोद उठालो,
होके शेरों पे सवार अब तो आजा की दरश दिखजा मेरे नैना अब थके थके
अपने भक्तों की पुकार सुन आजा, तुम्हारे चरणों मे शीश सबके झुके झुके
मानव जनम बिताया यूँ ही आज समझ मे आया,
बंधु सखा कोई नहीं अपना ये तो है सब माया,
होके शेरों पे सवार अब तो आजा की दरश दिखजा मेरे नैना अब थके थके
अपने भक्तों की पुकार सुन आजा, तुम्हारे चरणों मे शीश सबके झुके झुके
मन से पाप उतर जाते हैं तेरा गुण गाने से,
कष्टों से मुक्ति मिलती है तेरे दर आने से,
होके शेरों पे सवार अब तो आजा की दरश दिखजा मेरे नैना अब थके थके
अपने भक्तों की पुकार सुन आजा, तुम्हारे चरणों मे शीश सबके झुके झुके
बाट तुम्हारी देख रहे हैं 'जौहरी' संग सब जोगी,
दर्श मिलेगा हम सब को तो जीत माँ तेरी होगी।
होके शेरों पे सवार अब तो आजा की दरश दिखजा मेरे नैना अब थके थके

अपने भक्तों की पुकार सुन आजा, तुम्हारे चरणों मे शीश सबके झुके झुके

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श्री चरणो मे जो शरण मिले

श्री चरणो मे जो शरण मिले तो पाप मुक्त हो जाऊं मैं,
श्री चरणो मे जो शरण मिले तो पाप मुक्त हो जाऊं मैं,
हम वंदन करने आये थे और ध्यान तुम्हारा कर ना सके,
माँ अपनी प्रीत की भिक्षा दो, तो भव से ही तर जाऊं मैं,
श्री चरणो मे जो शरण मिले तो पाप मुक्त हो जाऊं मैं,

जीवन भर पाप बटोरे हैं और सुख पाने तो दौड़े हैं
माँ यश सुख वैभव दो ना दो, अनुराग तेरा पर पाऊँ मैं
श्री चरणो मे जो शरण मिले तो पाप मुक्त हो जाऊं मैं,

माँ अपने सुत के क्रंदन से पहले उसका दुख हरती है,
तू भी माँ है, बलशाली माँ, क्या आस लिये मर जाऊं मैं

श्री चरणो मे जो शरण मिले तो पाप मुक्त हो जाऊं मैं. 

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