हाय बचालो प्राण हमारे बिलख रही हैं धेनु इधर,
हाय कृष्ण गिरधर गोपाला, वंशी लेकर गए किधर,
हाय बचालो .....
अपना ढूध पिलाकर हमने जिन बच्चों को पाला है,
आज उन्होंने मेरी जान का सौदा ही कर डाला है,
तुमको है सौगंध दूध की, मनमोहन करो इधर नज़र,
हाय बचालो ....
भैंस भेड़ बकरी के पय से अच्छी नसल नहीं होगी,
आज कटे गी गौमाता, कल माता की हत्या होगी,
माँ के दूध के दुश्मन का क्यों फट जाता है नहीं जिगर,
हाय बचालो ....
मेरे दूध और मक्खन नेही तुमको कृष्ण बनाया था,
उसी शक्ति से तुमने कंस, कौरव को मजा चखाया था,
हर बालक गोपाल बने और, वृन्दावन हर ग्राम नगर,
हाय बचालो ...
शशांक जौहरी (लेखक/कवि)
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