Wednesday, 3 August 2011

बापू के तीन बन्दर काश चार होते

बापू के तीन बन्दर काश चार होते!
बापू के तीन बन्दर थे. १ मुह बंद (बुरा मत बोलो ) २ आँख बंद (बुरा मत देखो ) ३ कान बंद (बुरा मत सुनो )
गाँधीवादी नेता भी इन्ही आदर्शों का पालन करते हैं. बुरा बोलने से बचते हैं .. हाँ भौंकने के लिए कुछ *** खुले छोड़ दिए हैं. कुछ भी बुरा हो चाहे भर्ष्टाचार लूट घोटाला मगर ये बुरा नहीं देखते..और चाहे अन्ना हजारे, बाबा रामदेव के साथ लाखों लोग शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहें ये नहीं सुनते...
काश बापू ने एक और बन्दर बनाया होता जो अपने हाथों को पकडे होता और कहता बुरा मत करो..
शशांक जोहरी



मेरे लेखों और कविताओं को कुछ लोग कोपी पेस्ट कर के प्रसारित कर रहे हैं.. मेरा उनसे अनुरोध है कि वो मेरी कृति के साथ मेरा नाम अवश्य रखें उसे हटायें नहीं और अपनी कृति बना कर प्रस्तुत न करें. यह कोपी राइट का उलंघन है . धन्यवाद
मेरी कृतियों को प्रकाशित करने के लिए मुझे संपर्क कर सकते हैं.. , शशांक जौहरी (लेखक/कवि) 7503051717 , 7503051818

1 comment:

  1. achha vyang hai..but ye bhrasht neta besharam hote hain..inhe fark nahi padta

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