Wednesday, 3 August 2011

नर में नारायण होते हैं

नर में नारायण होते हैं


संतों से सुनते हैं हम,
नर में नारायण होते हैं,
नारायण जब पिटते हैं,
तो नारायण क्यों सोते हैं?
घायल कोई तड़प रहा हो,
उसके हम न सहाय बने
पुलिस बना दे कही न मुजरिम,
ऐसे डर में रहते हैं.
जाति-पाति में हमें बाँट जो,
वोट हमारा ठगते हैं,
उन्हें कोस लेते हैं घर में,
बाहर हम चुप रहते हैं
किसे वोट दें चोर सभी हैं,
हाँ यह दर्द सभी में है,
नयी व्यवस्था बनने को फिर,
साथ न क्यों हम देते हैं.
शशांक जौहरी (कवि/ लेख़क)



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शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
मेम्बर- फिल्म राइटर्स एसोसियेशन, मुम्बई, इंडिया 
फ़ोन: 91 8285228746

मेल: writer.shashankjohri@gmail.com

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