Saturday, 20 August 2011

अन्ना नहीं फकीर है,

अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,

 अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,
दुश्मन के हथियार गिरा दे, ऐसा सैनिक वीर है,

आर टी आई का अस्त्र बना भ्रष्टों की खबर निकाली,
पर्दा हटा, हटा, के खोलते हैं करतूतें काली,
२०० भ्रष्ट अफसरों और नेता की कुर्सी खाली,
ढूंढ रहे हैं इन भ्रष्टों के, लिए नयी कोतवाली,

अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,
दुश्मन के हथियार गिरा दे, ऐसा सैनिक वीर है,

लोकपाल जनता की बनी कोतवाली अब आएगी,
जनता का धन लुटने से जनता मुक्ती पायेगी,
डर से काँप रहे हैं चोर सब, अब कुर्सी जाये गी,
नहीं बना जन लोकपाल तो, गवर्नमेंट जाएगी,

अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,
दुश्मन के हथियार गिरा दे, ऐसा सैनिक वीर है,

गांधीगीरी से अन्ना की विजय अगर अब होगी,
जन जन में गांधी की प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठित होगी,
नक्सलवाद छोड़ अब फिर, सब गांधी बन जायेंगे,
सत्य अगर होंगे तो समर्थन, जनता का पायेंगे,

 अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,
दुश्मन के हथियार गिरा दे, ऐसा सैनिक वीर है,

सरदारों की शान बनो मेरे मनमोहन प्यारे,
अन्ना वाले लोकपाल का करो समर्थन सारे,
अगर मुखौटा हो तो विभीषण बन के छोड़ दो लंका,
अब ना भ्रष्टाचार बचेगा, बजा दिया है डंका,

 अन्ना नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है,
दुश्मन के हथियार गिरा दे, ऐसा सैनिक वीर है,

शशांक जौहरी, Cell: 7503051717

Sunday, 14 August 2011

आपात काले विपरीत बुद्धि


सरकार के पास जनता की दी हुई सारी ताक़त है.. और यह ताक़त आतंकवाद और विदेशी आक्रमंड से बचाने और देश का विकास करने के लिए दी थी.. लेकिन सत्ता के नशे मे चूर लोगों ने सरकारी कुर्सियों का दुरुपयोग करके अपनी तिजोरियाँ भरीं और पॉल खुलने पर गोबर पर पैर रख कर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं... प्रधानमंत्री जी की छवि अब तक सॉफ थी लेकिन अब भ्रष्टाचारियों को शह देकर उनकी छवि भी बहुत खराब हुई है..अगर भरषटाचार रोकने, कला धन वापस लाने और सही लोकपाल बिल लाने की हिम्मत नही है क्योंकि ठगों के सहारे ही सरकार चल रही है तो कम से कम बाबा रामदेव और अन्ना जैसे लोगों को कुचल कर अपनी अनैतिकता का परिचय तो ना दें.. जनता की आवाज़ जितनी दबाएँगे उतनी ही आग मे घी का काम होगा.. शायद ऐसे ही लोगों के लिए कहावत बनी है.. आपात काले विपरीत बुद्धि.

Wednesday, 3 August 2011

नर में नारायण होते हैं

नर में नारायण होते हैं


संतों से सुनते हैं हम,
नर में नारायण होते हैं,
नारायण जब पिटते हैं,
तो नारायण क्यों सोते हैं?
घायल कोई तड़प रहा हो,
उसके हम न सहाय बने
पुलिस बना दे कही न मुजरिम,
ऐसे डर में रहते हैं.
जाति-पाति में हमें बाँट जो,
वोट हमारा ठगते हैं,
उन्हें कोस लेते हैं घर में,
बाहर हम चुप रहते हैं
किसे वोट दें चोर सभी हैं,
हाँ यह दर्द सभी में है,
नयी व्यवस्था बनने को फिर,
साथ न क्यों हम देते हैं.
शशांक जौहरी (कवि/ लेख़क)



चेतावनी: यह ब्लॉग पूर्णतः कॉपीराइट से सुरक्षित है और इसका प्रकाशन का अधिकार केवल शशांक जौहरी को है। लेखक से पूर्वानुमति के बिना यह गीत/ कहानी/ लेख या इसका कोई भी अंश सीधे या तोड़ मरोड़ के किसी भी भाषा मे प्रकाशित करना गैर कानूनी अपराध है जिसके लिये सख्त कार्यवाही होगी अतः यदि कोई सज्जन इसे प्रकाशित करना चाहते हैं तो पहले लेखक से संपर्क कर के अनुमति प्राप्त करने का कष्ट करें।
शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
मेम्बर- फिल्म राइटर्स एसोसियेशन, मुम्बई, इंडिया 
फ़ोन: 91 8285228746

मेल: writer.shashankjohri@gmail.com

जो न धरा से धर्म मिटा दे नेता वो किस बात का

जो न धरा से धर्म मिटा दे नेता वो किस बात का


आओ तुम आरक्षण मागो अपनी-अपनी जात का
जात-जात को जो न लड़ा दे नेता वो किस बात का
हम हैं धर्म निरपेक्ष धर्म को धर्म-धर्म से काटेंगे
पढ़ी लिखी जनता को हम सब अनपढ़ मिलकर बांटेंगे
नारी मोर्चा बाल मोर्चा है जूता इस लात का
कोमल मन में आग लगा दो झगडा हो दिन रात का
आओ तुम......
नारी घर में हक मांगेगी बच्चे रपट लिखाएंगे
घर में जब कोहराम मचेगा स्वामी खुद मर जायेंगे
अबला नेता की होगी झंडा ढोये बिन बाप का
आओ तुम ....
मधुशाला घर-घर खुलवादो बर्तन खुद बिक जायेंगे
पढ़े लिखे और समझदार कर्जे में जान गंवाएंगे
युवा नारियां कपडे पहनेंगीं बच्चों के नाप का
जो न डरे भगवन से उसको डर क्या होगा बाप का
आओ तुम ...
अब सुभाष आज़ाद भगत सिंह पुस्तक में रह जायेंगे
देश विदेशी को देकर हम अरबपति बन जायेंगे
अगर मल्लिका और शिल्पा बनना सपना है आपका
तो समझो इमरान हाशमी है ये नेता आपका
आओ तुम ...
बाप नहीं होगा कोई अब बोयाय्फ्रेंड रह जायेंगे
मात पिता का नाम जानने फोन ओ फ्रेंड लगायेंगे
टी वी पर बैठे ज्योतिष दुःख दूर करेंगे आपका
इन्टरनेट पर होगा सबकुछ चाहे ज़हर लो सांप का
आओ तुम ...
राम नाम है सत्य न मरने पर भी अब कह पायेंगे
करूणानिधि जब पूछेंगे तो प्रूफ कहाँ से लायेंगे
समझदार खामोश रहेंगे आप मज़ा लो आपका
जो न धरा से धर्म मिटा दे नेता वो किस बात का
आओ तुम ...
शशांक जोहरी (कवि/ लेखक)


चेतावनी: यह ब्लॉग पूर्णतः कॉपीराइट से सुरक्षित है और इसका प्रकाशन का अधिकार केवल शशांक जौहरी को है। लेखक से पूर्वानुमति के बिना यह गीत/ कहानी/ लेख या इसका कोई भी अंश सीधे या तोड़ मरोड़ के किसी भी भाषा मे प्रकाशित करना गैर कानूनी अपराध है जिसके लिये सख्त कार्यवाही होगी अतः यदि कोई सज्जन इसे प्रकाशित करना चाहते हैं तो पहले लेखक से संपर्क कर के अनुमति प्राप्त करने का कष्ट करें।
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बापू के तीन बन्दर काश चार होते

बापू के तीन बन्दर काश चार होते!
बापू के तीन बन्दर थे. १ मुह बंद (बुरा मत बोलो ) २ आँख बंद (बुरा मत देखो ) ३ कान बंद (बुरा मत सुनो )
गाँधीवादी नेता भी इन्ही आदर्शों का पालन करते हैं. बुरा बोलने से बचते हैं .. हाँ भौंकने के लिए कुछ *** खुले छोड़ दिए हैं. कुछ भी बुरा हो चाहे भर्ष्टाचार लूट घोटाला मगर ये बुरा नहीं देखते..और चाहे अन्ना हजारे, बाबा रामदेव के साथ लाखों लोग शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहें ये नहीं सुनते...
काश बापू ने एक और बन्दर बनाया होता जो अपने हाथों को पकडे होता और कहता बुरा मत करो..
शशांक जोहरी



मेरे लेखों और कविताओं को कुछ लोग कोपी पेस्ट कर के प्रसारित कर रहे हैं.. मेरा उनसे अनुरोध है कि वो मेरी कृति के साथ मेरा नाम अवश्य रखें उसे हटायें नहीं और अपनी कृति बना कर प्रस्तुत न करें. यह कोपी राइट का उलंघन है . धन्यवाद
मेरी कृतियों को प्रकाशित करने के लिए मुझे संपर्क कर सकते हैं.. , शशांक जौहरी (लेखक/कवि) 7503051717 , 7503051818

देश बिक गया

देश बिक गया
देश बिक गया इन्कलाब लाना होगा,
काले अंग्रेजों का जवाब लाना होगा,
सच्चे पूतों को आगे आना होगा,
भय से मुक्त समाज हमें करना होगा,
भ्रष्टाचार गुनाहों पर जो जीते हैं,
उनको ही अब जनता से डरना होगा,
नहीं बटेंगे अब हम हिदू मुस्लिम में,
दलित, अवर्ण सवर्ण न अब कोई होगा,
फूट डाल कर राजनीति हो चुकी बहुत
देश द्रोहियों अब तुमको जाना होगा,
देश बिक गया इन्कलाब लाना होगा,
काले अंग्रेजों का जवाब लाना होगा,

शशांक जौहरी (कवि/ लेखक )


मेरे लेखों और कविताओं को कुछ लोग कोपी पेस्ट कर के प्रसारित कर रहे हैं.. मेरा उनसे अनुरोध है कि वो मेरी कृति के साथ मेरा नाम अवश्य रखें उसे हटायें नहीं और अपनी कृति बना कर प्रस्तुत न करें. यह कोपी राइट का उलंघन है . धन्यवाद
मेरी कृतियों को प्रकाशित करने के लिए मुझे संपर्क कर सकते हैं.. , शशांक जौहरी (लेखक/कवि) 8285228746

हमेशा की तरह लुटते रहेंगे

कुछ लोग हवा के रुख के साथ चलते हैं और कुछ विपरीत! साथ चलनेवालों को अकलमंद और विपरीत चलनेवालों को बेवकूफ कहा जाता है. इस हिसाब से हवा के रुख के साथ उड़ने वाली पतंग अकलमंद है जो बिना उद्देश्य आसमान में मंडराती रहती है और फिर कट के जमीन की धूल चाटती है... जबकि विमान या पानी का जहाज बेवकूफ है जो हवा के विपरीत चलकर यात्रियों को लक्ष्य तक पहुंचाता है. हाँ मेरा अभिप्राय उन लोगों से है जो आज के भ्रष्टाचार में बेबस हो कर साथ देते हैं और लूट के माल में अपना हिस्सा पाकर खुश होते हैं..वो नहीं जानते कि हर्षद मेहता जैसे लोगों को भी हराम की दौलत सुख नहीं दे पाई और वो समय से पहले बदनाम होकर मर गए..साथ ही अपने बच्चों के लिए भी कलंक का टीका लगा गए.. रही बात भ्रष्टाचार, अन्याय के खिलाफ खड़े होने की, तो वो हिम्मत बहुत कम लोगों में है.. लेकिन अंत में जीत का सुख उन्हें ही मिलेगा और उनके वंशज उनका नाम लेकर गर्वान्वित होंगे. .. जब बात सत्य और इमानदारी की होरही है तो मैं साफ़ करदूं कि आज कोई भी दूध का धुला या भगवान नहीं है... चाहे वोह अन्ना हजारे हों या बाबा रामदेव... भारत स्वाभिमान के नाम पर १००१ रुपये का रजिस्ट्रेशन अगर अनिवार्य है तो गरीब लोग कैसे बाबा का साथ देंगे..और बाबा योग के नाम पर अगर लोगों में देशभक्ति कि चेतना जगा रहे हैं तो क्या उसका कोई लक्ष्य या उद्देश्य दिखाई दे रहा है? नहीं... न तो अभी तक कोई राजनीतिक पार्टी बनायीं गयी है न ही देश को भ्रष्टाचारियों से मुक्त करने की कोई ठोस योजना है...लेकिन एक बात कहता हूँ.. अगर आपकी बहिन या बेटी को कोई वर्दीवाले गुंडे छेड़ रहे हों और उसकी इज्जत लूटने कि कोशिश करें..और उसी समय कोई नामी डाकू आकर उन गुंडों से भिड़ कर लोगों को एकत्र कर ले और आपकी बहिन या बेटी को बचा ले..तो क्या आप उस डाकू को डाकू कहेंगे.?.क्या आपको वोह डाकू पुलिस वाले के सामने भगवन नजर नहीं आएगा... बस इतना ही सोचो.. आज जो भी देश के लुटेरों के साथ दो दो हाथ करने को खड़ा है वो ही देशभक्त है.. और हमें उसके आचरण से कुछ लेना देना नहीं.. इसलिए..चाहे अन्ना जी हों या बाबा रामदेव.. हमारे लिए वो महान हैं और हमें उनका आदर करना चाहिए..वर्ना हम खुद ही विघटित होकर हमेशा की तरह लुटते रहेंगे. ---शशांक जौहरी (लेखक/ कवि)


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बोलने की आजादी

बोलने की आजादी भी दुश्मन है....अगर तुम बोलो तो
जब हम खुद बोलना चाहते हैं तो हमें आजादी अच्छी लगती है लेकिन जब कोई दूसरा बोलता है तो वह लोकतंत्र पर हमला लगता है..देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे नेता और मंत्री भी बिना सबूत एक दूसरे पर जातिवाद सम्प्रदायवाद का इल्जाम लगते हैं और किसी भी घटना को राजनीतिक रंग देने के लिए सम्प्रदायों को भड़काते हैं.. हाल ही में एक प्रेस कोंफ्रेंस में जूता दिखाने वाले को आर एस एस का आदमी बताया गया जो बाद में झूठ साबित हुआ..मुंबई में आतंकी हमले को भी दिग्विजय और पासवान जैसे नेताओं ने हिन्दू संगठन से जोड़ने की कोशिश करके एक सम्प्रदाय को खुश करने की कोशिश की और जांच एजेंसियों को भटकने के लिए अपने सरकारी पदों का दुरूपयोग किया....नेता लोग टी वी पर भी एक दूसरे को अपशब्द बोलते नजर आते हैं और अन्ना हजारे जैसे लोग दिग्विजय जैसे नेता को पागलखाने में भर्ती होने की सलाह देते हैं... अगर आप फेसबुक पर देखें तो लोग अपनी अपनी भाषा में नेताओं और दूसरे लोगों को गाली गलोच देकर और भड़काऊ बातें लिखकर भ्रमित करते हुए मिल जायेंगे.. बहुत से लोगों ने नेताओं की फोटो को गंदे ढंग से दिखाकर भी अपनी और ध्यान खींचा है.. कुछ लोग सम्प्रदाय के नाम पर लोगों को अर्थ का अनर्थ बनाकर सामग्री प्रस्तुत करते हुए मिल जायेंगे. सवाल दोहरे माप दंड का है.. एक तरफ जहाँ सत्ता पक्ष के और दबंग लोग कुछ भी बोल कर बेशर्मी से अपनी बात पर डटे रहते हैं वहीँ दूसरे लोग सच बोल कर भी कटरीना कैफ की तरह माफ़ी मांगते हुए दिखाई देते हैं.. छोटे लोग बड़ों से ही आचरण और व्यवहार करना सीखते हैं अतः जबतक तथाकथित बड़े लोग अपनी भाषा शैली सही नहीं करेगे और उनपर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी वो छोटों से भी सही आचरण की उम्मीद नहीं कर सकेंगे.. जन लोकपाल के माध्यम से ही सही सरकारी पदों पर बैठे लोगों के टी वी के माध्यम से फैलाने वाले झूठे और प्रमाणरहित बयानों पर अगर प्रतिबन्ध नहीं लगेगा और दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी तो जनता भी फेसबुक जैसे माध्यमों से आग उगलने से नहीं रोकी जा सकेगी..सत्ता पक्ष के लोग पुस्तकों पर भी प्रतिबन्ध लगा कर लेखकों की जुबान बंद करलें लेकिन इन्टरनेट पर काबू नहीं कर पायेंगे.. शायद आप लोगों को पता होगा कि एक लेखक पी एन ओक ने एक पुस्तक के माध्यम से जनता को बताया था की ताज महल वास्तव मैं शिव जी का मंदिर तेज-ओ-महालय है... जिसे जयपुर के राजा मान सिंह ने बनवाया था और इसमें तहखाने में देवी देवताओं की खंडित मूर्तियाँ हैं.. सरकार यूं एन ओ के सामने खुलवा कर देख ले..अगर झूठ निकले तो हमें सजा दे..लेकिन इंदिरा जी ने उस पुस्तक पर प्रतिबन्ध लगा दिया था... ऐसी ही अनेकों पुस्तकें जो सत्ता पक्ष को पसंद नहीं आतीं बंद कर दी जाती हैं.. ऐसी दोगली नीति क्यों? शशांक जौहरी (लेखक/ कवि)



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हुकूमत तो सिर्फ कांग्रेस की ही चलेगी

हुकूमत तो सिर्फ कांग्रेस की ही चलेगी
माना कि भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए लाखों लोगों ने जान दे दी पर होशियार वह होता है जो मौके का फायदा उठा ले और यह करामत कांग्रेस के अलावा और किसे आती है? आये भी क्यों न, कांग्रेस की स्थापना सन १८८५ में सर ए ओ ह्यूम ने की थी जो ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक डायरेक्टर के पोते थे !
हमारा राष्ट्रीयगान भी कांग्रेस की ही देन है! २६ दिसंबर १९११ को कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन के दूसरे दिन ब्रिटिश शासक जोर्ज पंचम को मुख्य अतिथि बनाया गया था और उनके स्वागत में उनकी यश गाथा में यह गीत गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टगोर जी ने लिख कर सुनाया था जो अगले दिन अख़बारों कि सुर्ख़ियों में रहा..इसमें ५ अंतरे थे लेकिन बाकी में साफ़ था कि यह जोर्ज पंजम की यश गाथा है इसलिए इसके पहले अंतरे को ही राष्ट्रीय गीत बनाया गया जिसे बाद में भगवान क़ी यशगाथा के रूप में परोसा गया!
शायद ईस्ट इंडिया कम्पनी क्रांतिकारियों के तेवर देख कर समझ गयी थी कि भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं है इसलिए शांतिवार्ता और मध्यस्थता के लिए कांग्रेस नाम का एक मंच बनाया गया! श्रद्धेय श्री श्री महात्मा गाँधी जो अफ्रीका में अपने अपमान का बदला लेने के लिए भारत यात्रा पर निकले थे उन्हें यह मंच पसंद आया और बाबू सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर खेद व्यक्त कर के नेहरु को अध्यक्ष बनवाया!
रिश्तों के लिहाज से जो क्रांतिकारी मदर इंडिया के लिए जान देरहे थे उन्हें फादर इण्डिया और अंकल इण्डिया मिल गए.
चलिए भाई अंग्रेज किसी क्रन्तिकारी से नहीं डरे लेकिन बापू के अहिंसावादी सत्याग्रह से डर गए! सत्याग्रह यह कि अगर अंग्रेज पूछें की तुम्हारे क्रन्तिकारी मित्र कहाँ छिपे हैं तो उन्हें सब सत्य बता दिया जाये और जब अंग्रेज क्रांतिकारियों को काला पानी या फांसी की सजा दें तो देश के गुस्से को अहिंसा के नाम पर चुप करा दिया जाये! अब इतना अच्छा आन्दोलन करनेवाला ही भागते हुए अंग्रेजों से उनका ताज लेकर अपने सर पहन सकता था न कि बम गोली चलने वाला क्रन्तिकारी, तो भाई आजादी का सेहरा कांग्रेस के सर पहुँच गया!
टर्निंग पॉइंट तब आया जब कैंसर की आखिरी स्टेज पर खड़े जिन्ना ने देश का पहला प्रधानमंत्री बनने की जिद करी और दूसरी तरफ चाचा जी ने भी ... तो फादर इंडिया तो संत आदमी थे और उन्हें अपने होनहार भाई देश के चाचा जी पर पूरा भरोसा था तो देश को अपने पुरखों की जागीर समझ कर दो हिस्से कर डाले.. मुसलमानों का पाकिस्तान और बाकी सब का हिंदुस्तान.! अहिंसा के पुजारी जिसको अंग्रेज टस से मस नहीं कर पाए एक सिरफिरे ने गोली से छलनी करदिया... इस तरह देश पिता विहीन हो गया... अब चाचा जी ने देश सम्हाला और दलितों के मसीहा श्री श्री बाबा साहब आंबेडकर को मुखिया बना कर विदेशियों के संविधान का भारतीय संस्करण बनवाया जिसमे देश को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग आदि में बाँट कर आरक्षण की हड्डियाँ डाल कर आपस में दंगे करवाने और स्वयं जनम जनम तक सत्ता का सुख भोगने का गणित तैयार करवाया गया! सरकारी नौकरी पर रखने से पहले शिक्षा दीक्षा और चाल चलन की जाँच पड़ताल का प्राविधान रक्खा गया लेकिन संसद में बैठ कर देश चलने के लिए क़ानून बनाने वालों को शिक्षा या अपराधिक रिकॉर्ड की जाँच से मुक्त रखा गया.
इसका लाभ उठा कर बाहुबलियों और माफियाओं ने सत्ता में पहुँच कर देश की हुकूमत सम्हालने में कांग्रेस का सहयोग किया और जिस तिरंगे को शहीदों के दिवंगत शरीर पर लपेटा जाता है उसे ही कांग्रेस का झंडा होने के नाम पर इन तथा कथित देशभक्तों का दुपट्टा बना दिया गया जिस से ये अपना मुह या जूते साफ़ करते हुए मिल जाते हैं.
हिन्दुओं के किसी देवी-देवता या भगवान की मूर्ती या मंदिर तोड़ने पर किसी विशेष सजा का प्रावधान नहीं रक्खा गया लेकिन फादर इंडिया और अंकल इंडिया के फोटो का अपमान करने वालों के लिए एक विशेष दंड संहिता बनायीं गयी! यहाँ तक तो ठीक था लेकिन पहले तो बापू का फोटो डाक टिकट पर छापा गया जिसमे लोग थूक लगा कर लिफाफे पर रख कर घूँसा मरते थे और साथ ही नोट पर भी बापू का हँसता हुआ फोट छाप दिया गया जिसे थूक लगा लगा कर गिनते हैं ! अहिंसा के पुजारी को पता नहीं होगा कि उसका फोटो पाने के लिए लोग कितनी हिंसा करेंगे और कभी शराबी उसे फाड़े गा तो कभी अय्याश उसे वैश्या पर लुटायेगा, और कभी लूट कर फोटो ऐसी गन्दी-गन्दी जगह छिपाए जायेंगे कि बेचारे बापू को भी अपनी गलती का एहसास हो जायेगा ! इस दुर्गति को देख कर कुछ पूज्य जनों ने बापू के फोटो को भारत के बेवकूफों के चंगुल से छुड़ा कर वातानुकूलित स्वच्छ स्विज बैंक में सुरक्षित करवा दिया जो बापू के धन्यवाद के पात्र हैं!
एक और बात समझने योग्य है! जो किसी स्थान का गुंडा या बदमाश होता है अगर उसे ही पुलिस का दारोगा बना दिया जाये तो वह अपराधियों को आसानी से पहचान सकता है और उसे अड्डों का भी पता होता है! इस हिसाब से अगर देखा जाये तो हुकूमत बिलकुल सही जायज लोगों के हाथ में है और कुछ बेवकूफ उनकी सख्ती का अंदाजा किये बिना भर्ष्टाचार के नाम पर उन पूज्य लोगों पर कीचड़ उछाल कर उसे छीनना चाहते हैं! ४ जून को हश्र देख ही लिया बाकी अभी और देखने को मिल जायेगा जब बाबा और अन्ना की पोस्टमार्टम के बाद डाक्टर सचान की तरह आत्म हत्या की रिपोर्ट आजाये गी!
यह बेवकूफ भूल गए कि बापू के ३ बन्दर थे १. आँख बंद.. बुरा मत देखो.. चाहे जितने घोटाले या आतंकवादी हमले हों..२. बुरा मत सुनो..चाहे बाबा और अन्ना के साथ लाखों लोग गरीबी, भर्ष्टाचार और लूट के धन के खिलाफ आवाज़ उठायें..३. बुरा मत बोलो ... अपने प्रधान मंत्री और आलाकमान को ही देखलीजिये. लेकिन मेरे भाई बापू का चौथा बन्दर नहीं था जो अपने स्वयं के हाथ पकडे होता और कहता बुरा मत करो......समझ गए न? तो बापू के आदर्शों पर चलने वाली, देश को गोरे अंग्रेजों जे आजादी दिलाने वाली और हर अपराध की खोज खबर अपने ही दल में बैठे दिग्गजों से हर पल रखने वाली ताकतवर पार्टी का साथ दो वर्ना पहले आजादी की लड़ाई में मरने वालों ने कौन सा कद्दू में तीर मार लिया था जो आप मार लोगे ? अगर दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी भी तो पागल लोग मारे जाएँगे और होशियार लोग फिर सत्ता पर बैठें गे..अरे भाई यह गुलामों का देश है.. विदेशी आक्रमणकारियों को अतिथि देवो भव कह कर नतमस्तक होते हैं और जब कोई अपने भाई को मार दे तो ..भगवान ने जो लिखा था वो तो होगया.. अब दुश्मन को मारने से कोई मरा हुआ वापस थोडेही आजायेगा कह कर चुप करा देते हैं..अगर अब आपके दिमाग की बत्ती जल गयी हो तो बोलो राष्ट्रीय अतिथि अजमल कसाब की जय... महा बली नेताओं की जय..भारत माता..ओह सोरी.. फादर इंडिया की जय..अंकल इंडिया की जय..विदेशी/स्वदेशी महारानी की जय.. युवराज की जय..!
मैंने देश कि एक विशेष पार्टी कि यशगाथा का प्रयास किया है ताकि इन्टरनेट से लोग भ्रमित न हों और उन्हें सही ज्ञान मिल सके लेकिन किन बातों को छुपाना चाहिए इस मामले में मैं अभी नासमझ हूँ अतः अगर कुछ गलत लिख दिया हो तो आपके प्रकोप के डर से पहले ही माफ़ी माग रहा हूँ .. संभवतः आप मुझ तुच्छ को माननीय कलमाड़ी और महा महिम ए राजा जैसे पराक्रमी लोगों के साथ तिहाड़ में भेजने का कष्ट नहीं करेंगे.. कांग्रेस जिंदाबाद.. शशांक जौहरी (लेखक/कवि)



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क्यों हथियार उठाये जाते हैं

हम भेड़ों की फ़ौज बने डंडे से हंकाए जाते हैं
नेताओं की राजनीति में रोज ठगाए जाते हैं
देश हुआ आजाद अकेले गाँधी जी की आंधी से
यही बता कागज के हमें हथियार थमाए जाते हैं
अंग्रेजों से लोहा लेकर प्राण गंवाए वीरों ने
वह सुभाष आजाद भगत आतंकी कहाए जाते हैं
देश की रक्षा करने को जो फ़ौज हमी से चलती है
गुंडों की रक्षा करने में वही लगाये जाते हैं
झूठे वादे जाति पाति के नाम पे जो मत ठगते हैं
पांच साल तक ऐसे डाकू नहीं हटाये जाते हैं
अनशन सत्याग्रह तो है हथियार इमोशन ठगने का
नेता बचता है जनता को लठ्ठ लगाए जाते हैं
रोज बढाओ मंहगाई लूटो इज्जत माँ बहिनों की
जो बोले वो हिंदूवादी आतंकी कहाए जाते हैं
डाकू के अड्डे पर जाकर मांग रहे हो धन अपना
सत्याग्रह से प्राण गंवाकर धन न यों पाए जाते हैं
बहुत बड़ा है फर्क मित्र जनता में और नेताजी मैं
गांधीवाद का पाठ पढ़ा कर खून बहाए जाते हैं
देशभक्त आर एस एस के याफिर नेपाली दिखते हैं
देश चलाने को इटली से लोग बुलाये जाते हैं
फूट डाल कर राज करो सीखा जिसने अंग्रेजों से
जनता को एकत्र देख वो होश गंवाए जाते हैं
जब न सुने क़ानून पुलिस और घर का लुटेरा ऐश करे
तब ही समझो गे के क्यों हथियार उठाये जाते हैं
शशांक जौहरी (Poet/ Writer)



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gauraksha hamara dharm


हाय बचालो प्राण हमारे बिलख रही हैं धेनु इधर,
हाय कृष्ण गिरधर गोपाला, वंशी लेकर गए किधर,
हाय बचालो .....
अपना ढूध पिलाकर हमने जिन बच्चों को पाला है,
आज उन्होंने मेरी जान का सौदा ही कर डाला है,
तुमको है सौगंध दूध की, मनमोहन करो इधर नज़र,
हाय बचालो ....
भैंस भेड़ बकरी के पय से अच्छी नसल नहीं होगी,
आज कटे गी गौमाता, कल माता की हत्या होगी,
माँ के दूध के दुश्मन का क्यों फट जाता है नहीं जिगर,
हाय बचालो ....
मेरे दूध और मक्खन नेही तुमको कृष्ण बनाया था,
उसी शक्ति से तुमने कंस, कौरव को मजा चखाया था,
हर बालक गोपाल बने और, वृन्दावन हर ग्राम नगर,
हाय बचालो ...
शशांक जौहरी (लेखक/कवि)