उठो
पॅंडावो राज तुम्हारा लूट रहे कौरव सारे,
गली
गली दुःशासन फिरते, लाज लूटने, हत्यारे,
ऊँच
नीच और जात पात के चक्रव्यूह मे घेरा है,
द्रोणाचार्या,
पितामह ने भी साथ हमारा छोड़ा है,
गुण्डों
की ताक़त के आगे, नतमस्तक थे हम सारे,
वीर
केजरीवाल है केशव शंखनाद सुनलो प्यारे,
युद्ध
महाभारत का था तब तीर कमान चले भाई,
एक
वोट सौ तीरों सा दो याद करें दुश्मन माई,
बिलख
रहे हैं भूखे बच्चे, द्रुपद सुता अब रोती है,
माल
लूट कर गवर्नमेंट बस आँख मूंद कर सोती है,
डर
लालच मेरा तेरा की आज पाट दो हर खाई,
अब
अधर्म का साथ ना देना, माँ की कसम तुम्हे भाई,
पाँच
साल करके हलाल, फिर वही कसाई आता है,
हम
भेड़ों को पत्ती देकर फिर दूकान सजाता है,
नेता
नही कसाई है, लालच की पत्ती मत खाना,
कहीं
पड़ें ना तुम्हे दामिनी अपने घर से उठवाना,
अमर
शहीदों की कुर्बानी, यूँ ना व्यर्थ गँवानी है,
देश
बेचने वालों को अब तो फाँसी लगवानी है,
प्रण
कर लो तुम कौरव को ना सत्ता मे जाने दोगे,
आम
आदमी के हाथों मे सत्ता की चाभी दोगे,
लोकसभा
के इस चुनाव मे, झाड़ू तुम्हे चलानी है,
अत्याचार,
गुनाहों से भारत की लाज बचानी है.
शशांक
जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार, वक्ता)
08285228746
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