Friday, 28 February 2014

बाहर आओ मकानो से, जंग लड़ो बेईमानो से,
आम आदमी निकल पड़ा है टकराने तूफ़ानो से..... बाहर आओ मकानो से.....
अंग्रेजों से लोहा लेकर जान गंवाई क्यों हमने, क्रांतिकारियों की रूहें कहती हैं अब शमशानों से 
बाहर आओ मकानो से.....

ब्रिटिश राज ने भी रेलें, सड़कें पुल  खूब बनाये थे, और टैक्स हम  से  वसूल खुद अपने महल बनाये थे,
फूट डाल  के राज किया था उन गोर शैतानो ने, वही किया है काले अंग्रेजों की इन संतानो ने
बाहर आओ मकानो से.....

गांधी जी ने चरखा ले देशी व्यापार बचाया था, और  विदेशी कपड़ों को होली की तरह जलाया था,
देश कि पूँजी लूट रहे हैं आज विदेशी व्यापारी, देशी व्यापारी पर कर और दंड लगाये जाते हैं
सीएम् पीएम् कौन बनेगा ढूंढ के चेहरे लाते हैं, बेरोजगार कहाँ जाएँ यह नेता नहीं बताते हैं,
भूखा पेट  बने क्रिमनल तो दोष है यह सरकारों का, देश लूटने वाले खुद उपलब्धि गिनाये जाते हैं
बाहर आओ मकानो से.....

ईमानदार देश के सारे आज केजरीवाल बने, अपना काम और काज छोड़ के भारत माँ के लाल बने
सत्ता के गुंडों को क्यों अब करने दें हम मनमानी, आम आदमी का शासन हो देश तभी खुशहाल बने
बाहर आओ मकानो से.....

शशांक जौहरी (लेखक, कवि, फ़िल्मकार)
08285228746

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